Tuesday, June 30, 2020

अगले 3 दिन कहाँ कहाँ होगी वर्षा

           
      1 जुलाई 2020 को इन छेत्रो मे हो सकती है वर्षा

  

 2  जुलाई 2020 को इन छेत्रो मे हो सकती है वर्षा
 

 
3 जुलाई 2020 को इन छेत्रो मे हो सकती है वर्षा
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Saturday, June 27, 2020

किसानों के लिए टिड्डी ही काेरोना


आफत बना टड्‌डी दल / किसानों के लिए टिड्डी ही काेरोना 

पूरी दुनिया कोरोना से निपटने में लगी है लेकिन यहां के किसान कोरोना को भूल टिडि्डयों से जूझ रहे हैं। वे लॉकडाउन में भी कभी कोरोना से प्रभावित नहीं हुए। वैसे भी जोधपुर के 73 गांवों में अब तक 180 मरीज ही कोरोना के आए हैं। सब के सब ठीक भी हो चुके हैं।


वहीं, किसानों को कोरोना से ज्यादा टिडि्डयों का डर है।

पाकिस्तान से टिड्डियों के रोजाना नए दल पहुंच रहे हैं। गत रबी सीजन में भी पश्चिमी राजस्थान के अधिकतर जिलों में टिड्डी ने बड़े पैमाने पर फसलों को चट कर लिया था। 6 जिलों में 60 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में नुकसान हुआ था। अब खरीफ सीजन में बुवाई रकबा तीन गुणा ज्यादा है। ऐसे में नुकसान की आशंका बढ़ गई है। खेतों से गुजर रहे टिड्डी दल हरियाली देखते ही बैठने लगते हैं। दो-तीन पत्तियों वाली पौध को कुछ ही क्षणों में चट कर देता है।


12.50 लाख हेक्टेयर दांव पर
जिले में खरीफ 2020 के अंतर्गत लगभग 12.50 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में बुवाई होगी। मुख्य रूप से बाजरा, मूंगफली ,मूंग, कपास, तिल, ग्वार है। गत खरीफ सीजन से ही विभिन्न प्राकृतिक आपदाओं के साथ टिड्डी का सामना कर रहे किसान अब इस कीट से तंग आ गए हैं। वे अपने बाकी काम छोड़ टिडि्डयों से निपटने में लगे हुए हैं।
मानसून आ गया है और बुवाई जोरों पर है। जबकि कपास व मूंगफली की फसल अंकुरित हो चुकी है। ताजा टिड्डी हमलों में सबसे ज्यादा खराबा कपास में हो रहा है। गनीमत ये रही कि लॉकडाउन के दौरान मुख्य फसलों की सीजन नहीं होने से बड़ा नुकसान नहीं हुआ है लेकिन मानसून पूर्व की बरसात से बाजरा भी बड़े पैमाने पर बोया जा चुका है जिससे अंसिचित क्षेत्र की फसलों के लिए भी खतरा बन रही है। जिले में टिड्डी चेतावनी संगठन, कृषि विभाग व राजस्व विभाग नियंत्रण में जुटा है लेकिन टिडि्डयां काबू नहीं आ रही। किसानों के ट्रैक्टर किराए पर भी ले रहे हैं। हाल ही में ड्रोन की भी व्यवस्था की गई है। साथ ही पाकिस्तान बॉर्डर पर हेलिकॉप्टर से रसायन के छिड़काव कर आगे फैलने से रोकने की तैयारी है। केंद्र द्वारा 55 नई गाड़ियां व 50 नए स्प्रेयर पंप खरीद रहा है। 5 हेलिकॉप्टर सितंबर तक मिलेंगे। जबकि 1 हेलिकॉप्टर कुछ ही दिनों में आएगा।


तिंवरी. टिड्‌डी दल देखने पहुंचे अधिकारी। वहीं ग्रामीण खेतों में बाइक चलाकर टिडि्डयां भगा रहे हैं।23300 लीटर केमिकल का छिड़काव
1200 ट्रैक्टर किसानों से किराए पर लिए
07 गाड़ियां केमिकल परिवहन के लिए
26 फायर बिग्रेड की सहायता ली गई
09 गाड़ी स्प्रे उपकरण रखने के लिए
05 ड्रोन हाल ही में नियंत्रण में लगाए
13 फॉल्कन मशीनें भी उपयोग में
05 हेलिकॉप्टर भी लगाए जाएंगे
रसोई की थालीअन्न की जगहअब टिडि्डयां
टिडि्डयों का आतंक इस कदर है कि किसानों के पूरे परिवार को उन्हें भागने में जुटना पड़ता है। शनिवार को लोहावट क्षेत्र में एक खेत में बच्चे ने टिडि्डयों को थाली में भर लिया। किसानों को चिंता इस बात की है कि क्या आगे भी इस थाली में अनाज आ पाएगा या नहीं।

ये रेगिस्तानी टिड्‌डे हैं,1959 के बाद पहली बार इतनी संख्या में पहुंची, 15 जुलाई से अंडे देगी
भारत में टिड्डियों का हमला राजस्थान, गुजरात और हरियाणा में होता है। ये रेगिस्तानी टिड्डे हैं, इन्हें ब्रीडिंग के लिए रेतीला इलाका पसंद है। इनका ब्रीडिंग पीरियड जून-जुलाई से अक्टूबर-नवंबर तक होता है। 15 जुलाई तक ये अंडे दे देगी।
इससे पहले आखिरी बार 1959 में इतने टिड्डी दल पहुंचे थे। 1962 तक हमले चले। 1993 में भी टिडि्डयां आईं थी। टिड्डी एक बार में तीन कैप्सूल देती है, उनमें 280 से अधिक अंडे होते हैं। इनका जीवन छह माह का ही होता है लेकिन इस दौरान तीन बार अंडे दे देती है।

फैक्ट: एक किमी में फैले झुंड में 15 करोड़ तक हो सकती है टिडि्डयां
  • 1 किमी के दायरे में बैठा टिड्डी दल एक दिन में 35 हजार लोगों के जितना खाना खा लेता है।
  • एक किमी से लेकर सैकड़ों किमी के दायरे में होता है इनका झुंड, भारत में 8 से 10 के पहुंच रहे
  • टिड्डी का वजन महज 2 ग्राम होता है। खाती भी इतना ही है, लेकिन तादाद लाखों-करोड़ों में
  • 1 दिन में कम से कम 100 व अधिकतम 150 किमी तक का सफर पूरा कर लेते हैं टिड्डी दल
  • 1 किमी के दायरे में फैले झुंड में कहा जाता है 15 करोड़ से ज्यादा टिड्डियां हो सकती है।
  • इनकी पहली पीढ़ी 16 गुना, दूसरी पीढ़ी 400 गुना और तीसरी पीढ़ी 16 हजार गुना बढ़ जाती है।
  • सालभर में 200 मिमी से कम बारिश वाले प. अफ्रीका, ईरान व एशियाई देशों में होती है।
  • रेगिस्तानी टिड्डियां प. अफ्रीका व भारत के बीच 1.6 करोड़ स्क्वायर किमी के क्षेत्र में रहती है।

Monday, June 22, 2020

भारत में मॉनसून का अब तक का प्रदर्शन और आगे प्रगति की संभावना

देश में मॉनसून का अब तक का प्रदर्शन और आगे प्रगति की संभावना


moonson  2020 पिछले साल की तुलना में काफी अलग चल रहा है। शुरुआती  सप्ताह तक मॉनसून का प्रदर्शन और इसकी प्रगति 2019 के मॉनसून से बिल्कुल भी अलग है। इस साल अल नीनो का प्रभाव नहीं है और अन्य समुद्र की स्थितियां इसकी राह में बाधक नहीं है, जिसकी वजह से स्काइमेट ने जैसा अनुमान लगाया था मॉनसून सामान्य समय यानी 1 जून से 3 दिन पहले 30 मई को केरल में पहुँच गया था।

 आगमन के बाद 4 जून को केरल के उत्तरी भागों को कवर करने के बाद अगले कुछ दिनों के लिए (10 जून तक) मॉनसून अपनी जगह पर ठहर गया था। इसी समय यानि 4 जून को ही मॉनसून तटीय कर्नाटक के कुछ हिस्सों में ही पहुंचा था। इसके कुछ दिनों के अंतराल के बाद जब मॉनसून ने रफ्तार पकड़ी तो हर दिन यह आगे बढ़ता रहा। न सिर्फ इसका पश्चिमी सिरा आगे बढ़ा बल्कि पूर्वी क्षेत्रों में भी मॉनसून ने प्रगति की। हालांकि मुंबई और कोलकाता समेत दक्षिणी महाराष्ट्र तथा पूर्वोत्तर भारत में अपने निर्धारित समय से कुछ दिनों की देरी मॉनसून के आगमन में हुई लेकिन मुंबई और कोलकाता को पार करने के बाद इसने जो रफ्तार पकड़ी, वो चौंकाने वाली थी।

कोलकाता समेत पश्चिम बंगाल और पूर्वोत्तर भारत के राज्यों में मॉनसून अपने सामान्य समय से 3-4 दिनों की देरी से पहुंचा। पश्चिम में भी मुंबई में सामान्य समय से 3 दिन विलंब से मॉनसून का आगमन हुआ। कोलकाता और मुंबई में मॉनसून का आगमन का समय इस साल संशोधित किया गया है, इसके अनुसार 11 जून को इन दोनों किनारों पर मॉनसून का आगमन होना चाहिए। लेकिन इस बार यह कुछ दिनों की देरी से पहुंचा।

 
गुजरात, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में समय से पहले आया मॉनसून

गुजरात, मध्य प्रदेश के मध्य भागों और उत्तर प्रदेश के पूर्वी हिस्सों में मॉनसून का आगमन सामान्य से तकरीबन 1 सप्ताह पहले हुआ। इन भागों में 16 जून को मॉनसून का आगमन हुआ। मॉनसून की उत्तरी सीमा 16 जून को गुजरात के कांडला और अहमदाबाद, मध्य प्रदेश के इंदौर, रायसेन, खजुराहो और उत्तर प्रदेश के फतेहपुर व बहराइच में पहुंची थी। उसके बाद से 22 जून तक मॉनसून में कोई प्रगति नहीं हुई।

अब मौसमी स्थितियां मॉनसून के आगे बढ़ने के लिए अनुकूल बन रही हैं। एक ट्रफ गंगा के मैदानी क्षेत्रों में पंजाब से लेकर पश्चिम बंगाल तक सक्रिय हो गई है। उत्तरी ओडिशा और पूर्वी उत्तर प्रदेश पर एक चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र बने हुए हैं। दूसरी ओर अरब सागर बना चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र प्रभावी हो रहा है। इन सिस्टमों के कारण बंगाल की खाड़ी से आर्द्र हवाओं को भीतरी क्षेत्रों में पहुँचने में मदद मिलेगी। 24-25 जून तक मॉनसून के उत्तर भारत के कुछ हिस्सों में पहुँचने की संभावना है।  

मॉनसून इन क्षेत्रों में रहेगा सक्रिय

हम उम्मीद कर रहे हैं कि आने वाले दिनों में देश के पूर्वोत्तर राज्यों के साथ-साथ बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, पूर्वी उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा और महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र तथा तेलंगाना, तटीय आंध्र प्रदेश में मॉनसून का अच्छा प्रदर्शन जारी रहेगा। 48 घंटों के बाद गुजरात के क्षेत्रों, दक्षिण-पश्चिमी मध्य प्रदेश, पश्चिमी उत्तर प्रदेश समेत उत्तर भारत के मैदानी और पहाड़ी क्षेत्रों में भी बारिश बढ़ेगी। 24 जून को इन भागों में अच्छी वर्षा हो सकती है। कर्नाटक के तटीय क्षेत्रों और केरल के इलाकों में अच्छी बारिश होती रहेगी जबकि अंदरूनी कर्नाटक, आंध्र प्रदेश के रायलसीमा क्षेत्र और चेन्नई सहित तमिलनाडु में बहुत ज्यादा मॉनसूनी बारिश की संभावना फिलहाल नहीं है।

अब तक मॉनसून वर्षा

देश में 1 जून से 22 जून के बीच सामान्य से 25% अधिक वर्षा रिकॉर्ड की गई है। अलग-अलग क्षेत्रों में बारिश का विवरण देखें तो मध्य भारत में सामान्य से 69% अधिक वर्षा रिकॉर्ड की गई है। दक्षिण और उत्तर भारत में सामान्य से 8% ज़्यादा बारिश हुई है जबकि पूर्वी तथा पूर्वोत्तर राज्यों में सामान्य से 3% ज़्यादा बारिश हुई है।

Sunday, June 21, 2020

सम्पूर्ण भारत का 22 जून, 2020 का मौसम पूर्वानुमान

                       देश भर में बने मौसमी सिस्टम
source:श्रीगंगानगर weather 
श्रीगंगानगर मौसम के लिये click करे
मध्य पाकिस्तान पर एक चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र बना हुआ है। इस सिस्टम से एक ट्रफ पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, झारखंड और उत्तरी ओडिशा होते हुए बंगाल की खाड़ी तक बनी हुई है।
पूर्वी उत्तर प्रदेश पर एक चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र बना हुआ है।
गुजरात के सौराष्ट्र क्षेत्र पर भी एक चक्रवाती सिस्टम बना हुआ है।
अगले 24 घंटों का मौसम पूर्वानुमान
अगले 24 घंटों के दौरान पूर्वी उत्तर प्रदेश, दक्षिण और पूर्वी मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल, असम, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, केरल, तटीय कर्नाटक और सौराष्ट्र व कच्छ के कुछ हिस्सों में  मध्यम बारिश होने की उम्मीद है। इन भागों में कुछ स्थानों पर भारी वर्षा की भी संभावना है।
आंध्र प्रदेश, आंतरिक कर्नाटक, तमिलनाडु के कुछ हिस्सों, रायलसीमा, मराठवाड़ा, कोंकण गोवा, दक्षिणी गुजरात, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश के पश्चिमी और मध्य भागों, बिहार, झारखंड, ओडिशा और पश्चिमी मध्य प्रदेश में हल्की से मध्यम बारिश संभव है।
राजस्थान, पूर्वोत्तर भारत के बाकी हिस्सों, अंडमान व निकोबार द्वीपसमूह और लक्षद्वीप में भी कुछ जगहों पर बारिश के आसार हैं। पश्चिमी हिमालयी राज्यों में कुछ स्थानों पर हल्की बारिश के आसार हैं।

•••सूर्य ग्रहण से पहले गिरा उल्कापिंड ••• राजस्थान के गाँव मे गिरा उल्कापिंड, देखिये तस्वीरें

राजस्थान के इस जिले में आसमान से गिरा आग का गोला'स्पीड देख घबरा गए थे                        लोग  


बबलू मीणा, जालोर: जिले के सांचोर कस्बे में शुक्रवार सुबह एक उल्कापिंड गिरने से सनसनी फैल गई. उल्कापिंड को देखने के लिए बड़ी संख्या में लोग उमड़ पड़े. बाद में पुलिस ने प्रशासनिक अधिकारियों की उपस्थिति में इसे वहां से हटाकर इसे सुरक्षित रखवाया. पुलिस के अनुसार किसी धातु के समान नजर आ रहा यह उल्कापिंड 2.788 किलोग्राम वजनी है. 


सांचोर थानाधिकारी अरविंद कुमार ने बताया कि आज सुबह 7 बजे सूचना मिली कि गायत्री कॉलेज के निकट भंसाली अस्पताल की तरफ जाने वाले मार्ग पर आसमान से तेज गर्जना के साथ एक चमकदार वस्तु नीचे गिरी है. इस पर वे मौके पर पहुंचे. वहां काले रंग की धातु का एक टुकड़ा जमीन में धंसा हुआ नजर आ रहा था. करीब चार से पांच फीट की गहराई में जाकर यह टुकड़ा धंस गया. उस समय यह टुकड़ा काफी गरम था. बाद में उपखंड अधिकारी और उप अधीक्षक भी मौके पर पहुंचे. उन्होंने बताया कि यह उल्कापिंड है. यह काले रंग की चमकीली धातु जैसा नजर आ रहा है.


कुछ प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि उन्होंने आसमान से एक तेज चमक के साथ एक टुकड़े को गर्जना के साथ नीचे गिरते देखा. नीचे गिरते ही एक धमाका हुआ. इस उल्कापिंड के ठंडा होने पर पुलिस ने उसे कांच के एक जार में रखवा दिया है. पुलिस का कहना है कि इसे विशेषज्ञों को दिखाया जाएगा.

उल्लेखनीय है कि आकाश में कभी-कभी एक ओर से दूसरी ओर अत्यंत वेग से जाते हुए अथवा पृथ्वी पर गिरते हुए जो पिंड दिखाई देते हैं, उन्हें उल्का और साधारण बोलचाल में टूटते हुए तारे कहते हैं. उल्काओं का जो अंश वायुमंडल में जलने से बचकर पृथ्वी तक पहुंचता है, उसे उल्कापिंड कहते हैं.


प्रत्येक रात्रि को उल्काएं अनगिनत संख्या में देखी जा सकती हैं, लेकिन इनमें से पृथ्वी पर गिरने वाले पिंडों की संख्या बहुत कम होती है. वैज्ञानिक दृष्टि से इनका महत्व बहुत अधिक है क्योंकि एक तो ये अति दुर्लभ होते हैं. दूसरे आकाश में विचरते हुए विभिन्न ग्रहों इत्यादि के संगठन और संरचना के ज्ञान के प्रत्यक्ष स्रोत केवल ये ही पिंड हैं.


Saturday, June 20, 2020

सम्पूर्ण भारत का 21 जून, 2020 का मौसम पूर्वानुमान


देश भर में बने मौसमी सिस्टम

मध्य पाकिस्तान पर एक चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र बना हुआ है और इस सिस्टम से पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, झारखंड और गंगीय पश्चिम बंगाल होते हुए बांग्लादेश तक एक ट्रफ रेखा बनी हुई है।

दक्षिणी असम पर एक चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र दिखाई दे रहा है। साथ ही दक्षिण-पूर्वी उत्तर प्रदेश पर भी हवाओं में एक चक्रवाती सिस्टम बना हुआ है।

दक्षिणी गुजरात के पास भी एक चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र बना हुआ है।

इस बीच अरब सागर के उत्तर-पश्चिमी और इससे सटे पश्चिमी मध्य भागों पर एक चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र बना हुआ है।

पिछले 24 घंटों में कैसा रहा मौसम

बीते 24 घंटों के दौरान राजस्थान में तापमान में हल्की कमी ज़रूर आई है लेकिन पश्चिम राजस्थान के कुछ इलाकों में अभी भी लू का प्रकोप जारी रहा।  

केरल, तटीय कर्नाटक, दक्षिणी कोंकण और गोवा में हल्की से मध्यम बारिश के साथ कुछ स्थानों पर भारी वर्षा हुई। मराठवाड़ा, ओडिशा, पूर्वी उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, मेघालय और असम में भी कुछ स्थानों पर मॉनसून वर्षा जारी है 

आगामी 24 घंटों का मौसमी पूर्वानुमान

अगले 24 घंटों के दौरान पूर्वी उत्तर प्रदेश, उत्तर-पूर्वी मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, उप-हिमालयी पश्चिम बंगाल, सिक्किम, असम, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड के साथ-साथ केरल और तटीय कर्नाटक के कुछ हिस्सों में हल्की से मध्यम बारिश के आसार हैं।

शेष पूर्वोत्तर भारत, गंगीय पश्चिम बंगाल, ओडिशा, तटीय आंध्र प्रदेश, विदर्भ के कुछ हिस्सों, कोंकण गोवा, उत्तराखंड, जम्मू कश्मीर, लद्दाख, गिलगित बाल्टिस्तान, मुजफ्फराबाद, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली और पूर्वी राजस्थान में हल्की से मध्यम बारिश की संभावना है।

मराठवाड़ा, मध्य महाराष्ट्र, पश्चिमी मध्य प्रदेश और तेलंगाना में भी कहीं-कहीं हल्की बारिश के साथ एक-दो स्थानों पर मध्यम बौछारें गिर सकती हैं।

दक्षिणी गुजरात, आंतरिक कर्नाटक, तमिलनाडु, अंडमान व निकोबार द्वीपसमूह और लक्षद्वीप में हल्की बारिश का अनुमान है।


Wednesday, June 17, 2020

मॉनसून के आगे बढ़ने की रफ्तार हुई कम


  • मॉनसून के आगे बढ़ने की रफ्तार हुई कम,
 20 जून तक मॉनसून में प्रगति की संभावना नहीं साल 2020 में मॉनसून के शुरुआती पखवाड़े यानी जून के पहले 5 दिनों में मॉनसून की अच्छी रफ्तार देखने को मिली है अपने समय से लगभग 1 सप्ताह पहले गुजरात और पूर्वी मध्य प्रदेश तथा पूर्वी उत्तर प्रदेश के भागों में मॉनसून का आगमन हो गया है। लेकिन अगले 48 घंटों तक मॉनसून के आगे बढ़ने के आसार नहीं है। इस दौरान पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल और पूर्वोत्तर राज्यों तथा मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में अच्छी वर्षा होने की संभावना है। उत्तर भारत के मैदानी इलाकों में गर्मी और उमस का रहेगा पक्रोप ।

सम्पूर्ण भारत का 18 जून, 2020 का मौसम पूर्वानुमान

अगले 24 घंटों के दौरान संभावित मौसम

अगले 24 घंटों के दौरान पूर्वोत्तर भारत, पश्चिम बंगाल के कई हिस्सों, बिहार, झारखंड, कोंकण गोवा, तटीय कर्नाटक और केरल के कुछ हिस्सों में मध्यम से भारी बारिश होने की उम्मीद है। छत्तीसगढ़, दक्षिणी और पूर्वी मध्य प्रदेश, पूर्वी उत्तर प्रदेश, गुजरात के कुछ हिस्सों, आंतरिक महाराष्ट्र और आंतरिक कर्नाटक हल्की से मध्यम बारिश के साथ एक-दो स्थानों पर भारी वर्षा हो सकती है। आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, दक्षिणी राजस्थान, लक्षद्वीप और उत्तराखंड में भी कुछ स्थानों पर हल्की से मध्यम बारिश के आसार हैं। राजस्थान के अनेक हिस्सों पर लू का प्रकोप बना रहेगा। पंजाब, हरियाणा और दिल्ली सहित उत्तर पश्चिम भारत के लगभग सभी भागों में दिन का तापमान 40 डिग्री से

ठेके की जमीन / खुद की फसल का लेखा जोखा

  फसल /ठेके पर जमीन का लेखा जोखा 2023   एक आंकलन उत्तरी राजस्थान के क्षेत्र में हुई फसल के आधार पर तयार किया गया है , जिसमे वर्तमान किसान की...