आफत बना टड्डी दल / किसानों के लिए टिड्डी ही काेरोना
पूरी दुनिया कोरोना से निपटने में लगी है लेकिन यहां के किसान कोरोना को भूल टिडि्डयों से जूझ रहे हैं। वे लॉकडाउन में भी कभी कोरोना से प्रभावित नहीं हुए। वैसे भी जोधपुर के 73 गांवों में अब तक 180 मरीज ही कोरोना के आए हैं। सब के सब ठीक भी हो चुके हैं।
वहीं, किसानों को कोरोना से ज्यादा टिडि्डयों का डर है।
पाकिस्तान से टिड्डियों के रोजाना नए दल पहुंच रहे हैं। गत रबी सीजन में भी पश्चिमी राजस्थान के अधिकतर जिलों में टिड्डी ने बड़े पैमाने पर फसलों को चट कर लिया था। 6 जिलों में 60 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में नुकसान हुआ था। अब खरीफ सीजन में बुवाई रकबा तीन गुणा ज्यादा है। ऐसे में नुकसान की आशंका बढ़ गई है। खेतों से गुजर रहे टिड्डी दल हरियाली देखते ही बैठने लगते हैं। दो-तीन पत्तियों वाली पौध को कुछ ही क्षणों में चट कर देता है।
12.50 लाख हेक्टेयर दांव पर
जिले में खरीफ 2020 के अंतर्गत लगभग 12.50 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में बुवाई होगी। मुख्य रूप से बाजरा, मूंगफली ,मूंग, कपास, तिल, ग्वार है। गत खरीफ सीजन से ही विभिन्न प्राकृतिक आपदाओं के साथ टिड्डी का सामना कर रहे किसान अब इस कीट से तंग आ गए हैं। वे अपने बाकी काम छोड़ टिडि्डयों से निपटने में लगे हुए हैं।
मानसून आ गया है और बुवाई जोरों पर है। जबकि कपास व मूंगफली की फसल अंकुरित हो चुकी है। ताजा टिड्डी हमलों में सबसे ज्यादा खराबा कपास में हो रहा है। गनीमत ये रही कि लॉकडाउन के दौरान मुख्य फसलों की सीजन नहीं होने से बड़ा नुकसान नहीं हुआ है लेकिन मानसून पूर्व की बरसात से बाजरा भी बड़े पैमाने पर बोया जा चुका है जिससे अंसिचित क्षेत्र की फसलों के लिए भी खतरा बन रही है। जिले में टिड्डी चेतावनी संगठन, कृषि विभाग व राजस्व विभाग नियंत्रण में जुटा है लेकिन टिडि्डयां काबू नहीं आ रही। किसानों के ट्रैक्टर किराए पर भी ले रहे हैं। हाल ही में ड्रोन की भी व्यवस्था की गई है। साथ ही पाकिस्तान बॉर्डर पर हेलिकॉप्टर से रसायन के छिड़काव कर आगे फैलने से रोकने की तैयारी है। केंद्र द्वारा 55 नई गाड़ियां व 50 नए स्प्रेयर पंप खरीद रहा है। 5 हेलिकॉप्टर सितंबर तक मिलेंगे। जबकि 1 हेलिकॉप्टर कुछ ही दिनों में आएगा।
तिंवरी. टिड्डी दल देखने पहुंचे अधिकारी। वहीं ग्रामीण खेतों में बाइक चलाकर टिडि्डयां भगा रहे हैं।23300 लीटर केमिकल का छिड़काव
1200 ट्रैक्टर किसानों से किराए पर लिए
07 गाड़ियां केमिकल परिवहन के लिए
ये रेगिस्तानी टिड्डे हैं,1959 के बाद पहली बार इतनी संख्या में पहुंची, 15 जुलाई से अंडे देगी
तिंवरी. टिड्डी दल देखने पहुंचे अधिकारी। वहीं ग्रामीण खेतों में बाइक चलाकर टिडि्डयां भगा रहे हैं।23300 लीटर केमिकल का छिड़काव
1200 ट्रैक्टर किसानों से किराए पर लिए
07 गाड़ियां केमिकल परिवहन के लिए
26 फायर बिग्रेड की सहायता ली गई
09 गाड़ी स्प्रे उपकरण रखने के लिए
05 ड्रोन हाल ही में नियंत्रण में लगाए
13 फॉल्कन मशीनें भी उपयोग में
05 हेलिकॉप्टर भी लगाए जाएंगे
09 गाड़ी स्प्रे उपकरण रखने के लिए
05 ड्रोन हाल ही में नियंत्रण में लगाए
13 फॉल्कन मशीनें भी उपयोग में
05 हेलिकॉप्टर भी लगाए जाएंगे
रसोई की थालीअन्न की जगहअब टिडि्डयां
टिडि्डयों का आतंक इस कदर है कि किसानों के पूरे परिवार को उन्हें भागने में जुटना पड़ता है। शनिवार को लोहावट क्षेत्र में एक खेत में बच्चे ने टिडि्डयों को थाली में भर लिया। किसानों को चिंता इस बात की है कि क्या आगे भी इस थाली में अनाज आ पाएगा या नहीं।
ये रेगिस्तानी टिड्डे हैं,1959 के बाद पहली बार इतनी संख्या में पहुंची, 15 जुलाई से अंडे देगी
भारत में टिड्डियों का हमला राजस्थान, गुजरात और हरियाणा में होता है। ये रेगिस्तानी टिड्डे हैं, इन्हें ब्रीडिंग के लिए रेतीला इलाका पसंद है। इनका ब्रीडिंग पीरियड जून-जुलाई से अक्टूबर-नवंबर तक होता है। 15 जुलाई तक ये अंडे दे देगी।
इससे पहले आखिरी बार 1959 में इतने टिड्डी दल पहुंचे थे। 1962 तक हमले चले। 1993 में भी टिडि्डयां आईं थी। टिड्डी एक बार में तीन कैप्सूल देती है, उनमें 280 से अधिक अंडे होते हैं। इनका जीवन छह माह का ही होता है लेकिन इस दौरान तीन बार अंडे दे देती है।
फैक्ट: एक किमी में फैले झुंड में 15 करोड़ तक हो सकती है टिडि्डयां
- 1 किमी के दायरे में बैठा टिड्डी दल एक दिन में 35 हजार लोगों के जितना खाना खा लेता है।
- एक किमी से लेकर सैकड़ों किमी के दायरे में होता है इनका झुंड, भारत में 8 से 10 के पहुंच रहे
- टिड्डी का वजन महज 2 ग्राम होता है। खाती भी इतना ही है, लेकिन तादाद लाखों-करोड़ों में
- 1 दिन में कम से कम 100 व अधिकतम 150 किमी तक का सफर पूरा कर लेते हैं टिड्डी दल
- 1 किमी के दायरे में फैले झुंड में कहा जाता है 15 करोड़ से ज्यादा टिड्डियां हो सकती है।
- इनकी पहली पीढ़ी 16 गुना, दूसरी पीढ़ी 400 गुना और तीसरी पीढ़ी 16 हजार गुना बढ़ जाती है।
- सालभर में 200 मिमी से कम बारिश वाले प. अफ्रीका, ईरान व एशियाई देशों में होती है।
- रेगिस्तानी टिड्डियां प. अफ्रीका व भारत के बीच 1.6 करोड़ स्क्वायर किमी के क्षेत्र में रहती है।
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